आज आपकी भेजी किताब 'सपने', 'कर दो बस्ता हल्का' और The Dreams मिल गई. 'कर दो बस्ता हल्का' में तो ढेर सारे बाल-गीत हैं, उन्हें गुनगुनाने में खूब मजा आया. चार-चार पंक्तियों में लिखे ये गीत तो मेरे मन को खूब भाए. बाल एकांकी 'सपने' भी अच्छी लगी, पर उसके लिए अभी मुझे और पढना पढ़ेगा. अख़बार के दोनों अंक लाजवाब निकले, चार पेज में कित्ती सारी जानकारी. इसी तरह का विशेषांक कानपुर से प्रकाशित 'बाल साहित्य समीक्षा' (स0- डा. राष्ट्रबंधु दादा जी) ने मम्मी-पापा पर प्रकाशित किया था. उसमें मेरी भी ढेर सारी फोटो छपी थीं. इस अख़बार के बहाने आपके बारे में भी ढेर सारी जानकारियां मिलीं.पूर्व राष्ट्रपति कलाम जी के साथ सम्मान लेती आपकी फोटो शानदार लगी. आप तो खूब लिखते हैं...अपने ब्लॉग पर भी लिखा करें, पोस्ट के रूप में, टिप्पणियों के कालम में नहीं. वहाँ तो पता ही नहीं चलता कि आपने कुछ नया लिखा या नहीं...मैं भी इस अख़बार में कुछ भेजना चाहती हूँ, क्या भेजूँ..बताइयेगा. आज मैं बहुत खुश हूँ कि आपने ये सब मुझे भिजवाया. अख़बार का यूँ ही इंतजार रहेगा अब तो.
@ दीन दयाल अंकल जी,
जवाब देंहटाएंआज आपकी भेजी किताब 'सपने', 'कर दो बस्ता हल्का' और The Dreams मिल गई. 'कर दो बस्ता हल्का' में तो ढेर सारे बाल-गीत हैं, उन्हें गुनगुनाने में खूब मजा आया. चार-चार पंक्तियों में लिखे ये गीत तो मेरे मन को खूब भाए. बाल एकांकी 'सपने' भी अच्छी लगी, पर उसके लिए अभी मुझे और पढना पढ़ेगा. अख़बार के दोनों अंक लाजवाब निकले, चार पेज में कित्ती सारी जानकारी. इसी तरह का विशेषांक कानपुर से प्रकाशित 'बाल साहित्य समीक्षा' (स0- डा. राष्ट्रबंधु दादा जी) ने मम्मी-पापा पर प्रकाशित किया था. उसमें मेरी भी ढेर सारी फोटो छपी थीं. इस अख़बार के बहाने आपके बारे में भी ढेर सारी जानकारियां मिलीं.पूर्व राष्ट्रपति कलाम जी के साथ सम्मान लेती आपकी फोटो शानदार लगी. आप तो खूब लिखते हैं...अपने ब्लॉग पर भी लिखा करें, पोस्ट के रूप में, टिप्पणियों के कालम में नहीं. वहाँ तो पता ही नहीं चलता कि आपने कुछ नया लिखा या नहीं...मैं भी इस अख़बार में कुछ भेजना चाहती हूँ, क्या भेजूँ..बताइयेगा. आज मैं बहुत खुश हूँ कि आपने ये सब मुझे भिजवाया. अख़बार का यूँ ही इंतजार रहेगा अब तो.