द्रोण की दक्षिणा.................विश्वास के आँचल में अँगूठा कटवाकर कल जिसने दी थी गुरु को दक्षिणा आज माउस पर दबी अंगुलि को कटने से बचाने के लिए भाग रहा है जोवो एकलव्य है मूँछों पर ताव देता राजाओं और उच्च जाति के बच्चों के लिए अंगुलि की दक्षिणा मांगता पीछे भाग रहा जो वो द्रोण है सुनहरे भविष्य की चमकती धूप मेंक्षितिज के ऊपर कैसे उतारू मै जाति का कफन ........
द्रोण की दक्षिणा.................
जवाब देंहटाएंविश्वास के आँचल में
अँगूठा कटवाकर कल
जिसने दी थी गुरु को दक्षिणा
आज
माउस पर दबी अंगुलि को
कटने से बचाने के लिए
भाग रहा है जो
वो एकलव्य है
मूँछों पर ताव देता
राजाओं और उच्च जाति के बच्चों के लिए
अंगुलि की दक्षिणा मांगता
पीछे भाग रहा जो
वो द्रोण है
सुनहरे भविष्य की चमकती धूप में
क्षितिज के ऊपर कैसे उतारू
मै जाति का कफन ........